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हरिहरपुरी की कुण्डलिया




हरिहरपुरी की कुण्डलिया


हिंदी में ही काम कर, रच अपनी पहचान।

हिंदी देती प्रेम से,यश-वैभव-सम्मान।।

यश-वैभव सम्मान,सभी अनमोल खजाना।

हिंदी में विश्वास, दिया  करता है खाना।।

कहें मिसिर कविराय, समझ हिंदी को विन्दी।

हिंदी को ही पूज,पढ़ो आजीवन हिंदी।।




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1 Comments

Sachin dev

19-Dec-2022 01:43 PM

Amazing

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