डॉ. रामबली मिश्र
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हरिहरपुरी की कुण्डलिया
हिंदी में ही काम कर, रच अपनी पहचान।
हिंदी देती प्रेम से,यश-वैभव-सम्मान।।
यश-वैभव सम्मान,सभी अनमोल खजाना।
हिंदी में विश्वास, दिया करता है खाना।।
कहें मिसिर कविराय, समझ हिंदी को विन्दी।
हिंदी को ही पूज,पढ़ो आजीवन हिंदी।।
Sachin dev
19-Dec-2022 01:43 PM
Amazing
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Sachin dev
19-Dec-2022 01:43 PM
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